8 जनवरी को श्रेष्ठ मुहूर्त, रविपुष्य, सर्वार्थसिद्धि, गजकेसरी योग संयोग

भारतीय पंचांग में गुरु पुष्य और रवि पुष्य योग को अत्यंत लाभकारी माना गया है। बृहस्पति पुष्य योग तब होता है जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार को पड़ता है और रवि पुष्य योग तब होता है जब पुष्य नक्षत्र रविवार को पड़ता है। 8 जनवरी, रविवार को साल का पहला पुष्य नक्षत्र रहेगा, ऐसे में रवि पुष्य संयोग बनेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बनेगा, इसलिए पूरा दिन खरीदारी और नई शुरुआत के लिए शुभ रहेगा।

इस युति को ज्योतिष शास्त्र में श्रेष्ठ मुहूर्त कहा गया है। ज्योतिषियों के अनुसार इस युति में किए गए कार्यों में सफलता लगभग निश्चित होती है, इसलिए ऐसी युति में खरीदारी, लेन-देन, निवेश के साथ-साथ कोई नया काम और व्यवसाय शुरू करना लाभदायक माना जाता है।

पुष्य नक्षत्र के साथ ही रविवार को सर्वार्थसिद्धि, बुधादित्य और श्रीवत्स योग रहेगा।

रविवार को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि, बुधादित्य और श्रीवत्स योग रहेगा। गुरु पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो गजकेसरी योग भी फलदायी होगा। नक्षत्रों के इस शुभ संयोग में किए गए कार्यों में सफलता और लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। इस साल का पहला पुष्य संयोग 8 जनवरी से शुरू होगा। यह नक्षत्र सुबह करीब 7 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 6 बजे तक रहेगा। चूंकि यह दिन रविवार है, इसलिए इसे रवि पुष्य कहा जाएगा

रवि पुष्य योग में मंत्र सिद्धि भी बहुत जल्दी होती है। किसी विशेष मंत्र का अनुष्ठान और जाप भी बहुत फलदायी होता है। माघ मास में पड़ने वाले रवि पुष्य योग में योग्य व्यक्ति को दान देना भी अत्यंत शुभ फलदायी होता है। गरीबों, जरूरतमंदों को भोजन कराना और वस्त्र दान करना महान पुण्य का कार्य है।

क्यों खास है नया साल 2023?

हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 में कुल 162 सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे। इसके अलावा 143 रवि योग, 33 अमृत सिद्धि योग का भी समन्वय होगा। वर्ष 2023 में 14 पुष्य योग (नक्षत्र) रहेंगे। पुष्य नक्षत्र में खरीदारी करना अत्यंत शुभ होता है। पुष्य योग दो बार मार्च और दिसंबर में पड़ेगा। नए साल में जनवरी में सबसे ज्यादा 16 बार सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। इसके अलावा मार्च, अप्रैल, जुलाई और दिसंबर में 14-14 बार रवि योग रहेगा। अप्रैल में छह बार अमृत सिद्धि योग रहेगा।

पुष्य नक्षत्र का बहुत महत्व है

पुष्य को सभी 27 नक्षत्रों में राजा माना गया है। इस नक्षत्र को शास्त्रों में अमरेज्य भी कहा गया है, जिसका अर्थ है जीवन में स्थिरता और अमरता लाने वाला नक्षत्र। इस नक्षत्र में विवाह की खरीदारी से रिश्तों में मधुरता और मजबूती आती है। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है, लेकिन प्रकृति बृहस्पति के समान है। पुष्य नक्षत्र जब भी रविवार के दिन पड़ता है तब बनने वाला रवि पुष्य योग शुभ और सफल होता है इसलिए पुष्य नक्षत्र में विवाह के लिए खरीदारी करने की परंपरा है।

कहा जाता है कि इस दिन दान करने से कई गुना फल मिलता है। इस दिन धार्मिक स्थलों या पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। 8 जनवरी को रवि पुष्य योग बन रहा है जो कि साल 2023 का पहला रवि पुष्य योग है। रवि पुष्य इस वर्ष कुल पांच बार घटित होगा, जिसमें 5 फरवरी, 10 सितंबर, 6 अक्टूबर और 5 नवंबर शामिल हैं। रवि पुष्य योग या गुरु पुष्य योग में विवाह होना शुभ माना जाता है। इसके अलावा सभी कार्य बहुत शुभ होते हैं।

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