कुमुहूर्त में सही तरीके से करें यह काम! सूर्य देव देंगे सफलता और यश का आशीर्वाद!

यदि आप कुमुर्त दिनों में अधिक कुछ नहीं कर सकते तो आपको प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करके अपने इष्टदेव और कुलदेवी का स्मरण करना चाहिए। कामुहूर्त के दिनों में दान देने की भी विशेष महिमा है।

आज से कामुहूर्त शुरू हो रहा है। पारंपरिक भाषा में हम इसे कामुरता के नाम से भी जानते हैं। तो इसका दूसरा नाम धनारक है। सूर्य देव प्रत्येक राशि में लगभग एक माह तक रहते हैं। और जब से यह धनु राशि में प्रवेश करता है, लगभग तीस दिनों की अवधि को धनुर्मास के नाम से जाना जाता है। इस धनुर्मास, धनारक या खरमास में विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य करने का निषेध होता है। और इसीलिए हम इसे कामुहूर्त कहते हैं। लेकिन दरअसल इन दिनों में सूर्य की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। जिससे व्यक्ति अपना कल्याण कर सकता है। आइए, आज इसके बारे में विस्तार से जानें।

यश और यश की प्राप्ति

विशेष है कामुहूर्त में सूर्य देव की पूजा करने की महिमा। जो सफलता और प्रसिद्धि लाने वाले माने जाते हैं। सूर्य देव इस संसार की ऊर्जा हैं। सूर्य है तो ही चेतना है और सूर्य है तो ही जगत है। सूर्य देव के बिना हम संसार की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। तब कहा जाता है कि धनरक मास में सूर्य देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए और उन्हें अर्घ देना चाहिए। और यदि यह कार्य पूरे माह में संभव न हो तो रविवार के दिन अवश्य ही करना चाहिए। रविवार को सूर्यनारायण को खीर का भोग लगाकर “ૐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:।” मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि कममुहूर्त में इस प्रकार सूर्य देवता की पूजा करने से व्यक्ति के व्यवसाय संबंधी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। और उसे यश और यश की प्राप्ति होती है।

ऐश्वर्य की प्राप्ति

धनरक मास में देवी लक्ष्मी और नारायण की पूजा का भी महत्व है। मान्यता के अनुसार धनरक मास में लक्ष्मीनारायण की पूजा करने से घर में कभी भी धन की हानि नहीं होती है। इतना ही नहीं, सेहत की भी बरकत रहती है। यदि संभव हो तो नित्य विष्णु सहस्र का जप धनारक मास में करना चाहिए। तथा विष्णुप्रिया यानि तुलसी के पौधे का भी संरक्षण करना चाहिए।

कुलदेवी की पूजा

यौवन के दिनों में यदि अधिक कुछ न कर सकें तो नित्य प्रात:काल स्नान करके अपने इष्टदेव और कुलदेवी का स्मरण करना चाहिए। कामुहूर्त के दिनों में दान देने की भी विशेष महिमा है। हो सके तो जरूरतमंद लोगों की मदद करने की कोशिश करें। इतना ही किया जाय तो भी युवावस्था में भी पुण्य शैय्या बनाकर उत्तम फल की प्राप्ति की जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *